hindisamay head
:: हिंदी समय डॉट कॉम ::
धारावाहिक प्रस्तुति (08 फरवरी 2019), मुखपृष्ठ संपादकीय परिवार

दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
मोहनदास करमचंद गांधी

प्रथम खंड : 15. वक्र राजनीति अथवा क्षणिक हर्ष

केप टाउन में जहाज से उतरने पर और उससे भी अधिक जोहानिसबर्ग पहुँचने पर हमने देखा कि मदीरा में मिले हुए तार की हमने जो कीमत आँकी थी उतनी कीमत वास्‍तव में उसकी नहीं थी। इसमें दोष तार भेजनेवाले श्री रिच का नहीं था। उन्‍होंने तो एशियाटिक एक्‍ट की अस्‍वीकृति के बारे में जो कुछ सुना था उसी के अनुसार तार किया था। हम पहले बता चुके हैं कि उस समय - अर्थात 1906 में - ट्रान्‍सवाल एक शाही उपनिवेश था। ऐसे उपनिवेशों के राजदूत उपनिवेश-मंत्री को अपने अपने उपनिवेश के हितों से संबंधित बातों से परिचित रखने के लिए सदा इंग्‍लैंड में रहते हैं। ट्रान्‍सवाल के राजदूत सर रिचर्ड सॉलोमन थे, जो दक्षिण अफ्रीका के एक प्रख्‍यात वकील थे। खूनी कानून को अस्‍वीकार करने का निश्‍चय लॉर्ड एल्गिन ने सर रिचर्ड सॉलोमन के साथ विचार-विमर्श करके ही किया था। 1 जनवरी 1907 से ट्रान्‍सवाल को उत्तरदायी शासन की सत्ता प्राप्‍त होनेवाली थी। इसलिए लॉर्ड एल्गिन ने सर रिचर्ड सॉलोमन को यह विश्‍वास दिलाया था कि ''यही कानून यदि ट्रान्‍सवाल की धारासभा में उत्तरदायी शासन की सत्ता मिलने के बाद पास होगा, तो बड़ी (साम्राज्‍य) सरकार उसे अस्‍वीकार नहीं करेगी। परंतु जब तक ट्रान्‍सवाल शाही उपनिवेश माना जाता है तब तक ऐसे रंग-भेद वाले कानून के लिए बड़ी सरकार सीधी जिम्‍मेदार मानी जाएगी। और बड़ी सरकार के संविधान में जातीय भेदभाव की राजनीति को स्‍थान नहीं दिया जाता। इसलिए इस सिद्धांत का पालन करने के लिए मुझे फिलहाल तो इस खूनी कानून को अस्‍वीकार करने की ही सलाह सम्राट को देनी होगी।''

इस प्रकार केवल नाम के लिए ही खूनी कानून रद हो और साथ ही ट्रान्‍सवाल के गोरों का काम भी बन जाए, तो सर रिचर्ड सॉलोमन को कोई आपत्ति नहीं थी - क्‍यों हो सकती थी? इस राजनीति को मैंने 'वक्र' कहा है। परंतु सच पूछा जाए तो इससे अधिक तीखे विशेषण का प्रयोग करने पर भी इस नीति के प्रवर्तकों के साथ कोई अन्‍याय नहीं होगा ऐसा मेरा विश्‍वास है। शाही उपनिवेशों के कानूनों के बारे में साम्राज्‍य सरकार की सीधी जिम्‍मेदारी होती है। उसके संविधान में रंगभेद और जातिभेद के लिए कोई स्‍थान नहीं है। ये दोनों बातें बड़ी सुंदर हैं। उत्तरदायी शासन की सत्ता भोगनेवाले उपनिवेशों द्वारा बनाए गए कानूनों को बड़ी सरकार एकाएक रद नहीं कर सकती, यह भी समझ में आने जैसी बात है। लेकिन उपनिवेशों के राजदूतों के साथ गुप्‍त मंत्रणाएँ...

पूरी सामग्री पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

कृष्णा सोबती : एक मुलाकात
गरिमा श्रीवास्तव

कृष्णा जी उन लोगों में शुमार हैं जो मनुष्य को जाति, वर्ग और जेंडर के कठघरे में बाँटने से पहले उसके आत्यंतिक सत्य को महत्व देती हैं - शबारी उपरे मानुष सत्य ...जेएनयू में ज्वाइन करने के बाद मैंने उनसे कहा कि सर्दियों की छुट्टियों के बाद आपको मिलती हूँ, लेकिन उनका आग्रह था अभी मिलो न... इस अभी मिल लेने में कुछ था जो कहा नहीं गया पर महसूसा गया - वह था, कल किसने देखा है? मुझसे हाथ मिलाकर बोलती हैं... आप तो तीसरी पीढ़ी की हैं। पैदाइशी महानगरीय होना और छोटी जगह से आकर यहाँ बस जाने के फर्क को देर तक समझाती हैं। मैंने हौले से उनके झुर्रियों भरे गोरे हाथ को छू लिया है, दो उँगलियों में हीरे की अँगूठियाँ हैं, कलाई में सोने का एक सादा सा कड़ा, त्वचा झूल गई है, नीली ...हरी नसें हड्डियों को मजबूती से थामे हुए हैं। उँगलियाँ कलात्मक हैं ...मेरी उँगलियाँ देख रही हैं वे भी गौर से ...चश्मे के भीतर एक जोड़ी चुस्त और चौकन्नी आँखें हैं, सुनने बोलने में कहीं कोई दिक्कत नहीं, बस कहती हैं कि अब थक जाया करती हूँ...

लैटिन अमेरिकी कहानियाँ
जुआन रुल्फो
उनसे बोलो मेरा कत्ल न करें
तुम्हें कुत्तों का भौंकना भी सुनाई नहीं देता?
गाब्रिएल गार्सिया मार्केज
सपनों की सौदागर
मुझे तो सिर्फ फोन करना था
मंगलवार की दोपहर

संस्मरण
आनंद वर्धन
बसंत आ गया पर...
ल्यूबोमीर और रोशनी की राख
बड़ापानी झील हमें फिर बुलाएगी

विमर्श
सुबोध शुक्ल
विखंडनवाद : पाठ का अतिक्रमण

आलोचना
गंगा सहाय मीणा
बालकृष्‍ण भट्ट : कबीर की परंपरा के लेखक
मधुछंदा चक्रवर्ती
निराला के उपन्यासों में सामाजिक तत्वों का अध्ययन

सिनेमा
प्रियंका
हिंदी सिनेमा में दक्षिण भारतीय भाषाओं का साहित्य

कविताएँ
लीना मल्होत्रा राव

संरक्षक
प्रो. गिरीश्‍वर मिश्र
(कुलपति)

 संपादक
प्रो. आनंद वर्धन शर्मा
फोन - 07152 - 252148
ई-मेल : pvctomgahv@gmail.com

समन्वयक
अमित कुमार विश्वास
फोन - 09970244359
ई-मेल : amitbishwas2004@gmail.com

संपादकीय सहयोगी
मनोज कुमार पांडेय
फोन - 08275409685
ई-मेल : chanduksaath@gmail.com

तकनीकी सहायक
रविंद्र वानखडे
फोन - 09422905727
ई-मेल : rswankhade2006@gmail.com

विशेष तकनीकी सहयोग
अंजनी कुमार राय
फोन - 09420681919
ई-मेल : anjani.ray@gmail.com

गिरीश चंद्र पांडेय
फोन - 09422905758
ई-मेल : gcpandey@gmail.com

आवश्यक सूचना

हिंदीसमयडॉटकॉम पूरी तरह से अव्यावसायिक अकादमिक उपक्रम है। हमारा एकमात्र उद्देश्य दुनिया भर में फैले व्यापक हिंदी पाठक समुदाय तक हिंदी की श्रेष्ठ रचनाओं की पहुँच आसानी से संभव बनाना है। इसमें शामिल रचनाओं के संदर्भ में रचनाकार या/और प्रकाशक से अनुमति अवश्य ली जाती है। हम आभारी हैं कि हमें रचनाकारों का भरपूर सहयोग मिला है। वे अपनी रचनाओं को ‘हिंदी समय’ पर उपलब्ध कराने के संदर्भ में सहर्ष अपनी अनुमति हमें देते रहे हैं। किसी कारणवश रचनाकार के मना करने की स्थिति में हम उसकी रचनाओं को ‘हिंदी समय’ के पटल से हटा देते हैं।
ISSN 2394-6687

हमें लिखें

अपनी सम्मति और सुझाव देने तथा नई सामग्री की नियमित सूचना पाने के लिए कृपया इस पते पर मेल करें :
mgahv@hindisamay.in